कैसे बताऊँ मैं तुम्हें मेरे लिए तुम कौन हो...

Manish Kumar
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कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
मेरे लिए तुम कौन हो कैसे बताऊँ
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
तुम धड़कनों का गीत हो
जीवन का तुम संगीत हो
तुम ज़िन्दगी तुम बंदगी
तुम रौशनी तुम ताज़गी
तुम हर ख़ुशी तुम प्यार हो
तुम प्रीत हो मनमीत हो
आँखों में तुम यादों में तुम
साँसों में तुम आहों में तुम
नींदों में तुम ख़्वाबों में तुम
तुम हो मेरी हर बात में
तुम हो मेरे दिन रात में
तुम सुबह में तुम श्याम में
तुम सोच में तुम काम में
मेरे लिए पाना भी तुम
मेरे लिए खोना भी तुम
मेरे लिए हंसना भी तुम
मेरे लिए रोना भी तुम
और जागना सोना भी तुम
जाऊं कहीं देखूं कहीं
तुम हो वहाँ तुम हो वहीँ
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
तुम बिन तो मैं कुछ भी नहीं
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
मेरे लिए तुम कौन हो
ये जो तुम्हारा रूप है
ये ज़िन्दगी की धुप है
चन्दन से तरशा है बदन
बहती है जिस में एक अगन
ये शोखियाँ ये मस्तियाँ
तुमको हवाओं से मिली
ज़ुल्फ़ें घटाओं से मिली
होंठों में कलियाँ खिल गयी
आँखों को झीले मिल गयी
चेहरे में सिमटी चांदनी
आवाज़ में है रागिनी
शीशे के जैसा अंग है
फूलों के जैसा रंग है
नदियों के जैसी चाल है
क्या हुस्न है क्या हाल है
ये जिस्म की रंगीनियां
जैसे हज़ारों तितलियाँ
बाहों की ये गोलाइयाँ
आँचल में ये परछाइयाँ
ये नगरियाँ है ख्वाब की
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
हालत दिल ए बेताब की
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
मेरे लिए तुम कौन हो
कैसे बताऊँ कैसे बताऊँ
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
मेरे लिए तुम धर्म हो
मेरे लिए ईमान हो
तुम ही इबादत हो मेरी
तुम ही तो चाहत हो मेरी
तुम ही मेरा अरमान हो
तख्ता हूँ मैं हर पल जिससे
तुम ही तो वो तस्वीर हो
तुम ही मेरी तक़दीर हो
तुम ही सितारा हो मेरा
तुम ही नज़ारा हो मेरा
युध्ययन में मेरे हो तुम
जैसे मुझे घेरे हो तुम
पूरब में तुम पच्छिम में तुम
उतर में तुम दक्षिण में तुम
सारे मेरे जीवन में तुम
हर पल में तुम हर चिर में तुम
मेरे लिए रास्ता भी तुम
मेरे लिए मंज़िल भी तुम
मेरे लिए सागर भी तुम
मेरे लिए साहिल भी तुम
मैं देखता बस तुमको हूँ
मैं सोचता बस तुमको हूँ
मैं जानता बस तुमको हूँ
मैं मानता बस तुमको हूँ
तुम ही मेरी पहचान हो

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